मामूली सा झोंका
जलाया तो खुद अपने हाथों से था
नदिया में लेकिन बहा ना सका
राख ठंडी हो यही इंतज़ार रहा
अंगारों को लेकिन बुझा ना सका...
लड़ता मौत से तो शायद जी भी जाता
किस्मत को अपनी आज़मा ना सका
ले उड़ा राख भी एक मामूली सा झोंका
तेज़ हवाओं को अपनी कहानी...बता ना सका.....
1 Comments:
very nice ...
Post a Comment
<< Home